रामदेव जी का मन्दिर
बाबा रामदेवजी सभी मनुष्यों की समानता में विश्वास करते थे, ऊंच या नीच जाति, अमीर या गरीब उनके लिए सब समान थे। वे मनुवांछित वरदान देकर समाज में पिछ्डी जाति को सम्मान दिलाने कि कोशिश किया करते थे। उन्की पूजा हिन्दु मुसलमान के विभाजन से परे है। आज के समय में उनके अनुयायियों की कतार हिन्दुस्तान से पाकिस्तान तक हर जगह है।
रामदेवजी मंदिर भारत में राजस्थान के जैसलमेर जिले में पोकरण के उत्तर से लगभग १२ किमी दूर है। यह मन्दिर रामदेवरा गांव में स्थित है। यहाँ बाबा रामदेवजी ने १४५९ ई. में समाधि ले ली थी और तभी से इस गाँव का नाम रामदेवरा पड गया। बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह ने १९३१ ई. में समाधि के चारों ओर एक मंदिर का निर्माण किया।
यह मन्दिर सालासर से ८६ किलोमीटर की दूरी पर है । यह राजस्थान के लोक देवता हैं। बाबा रामदेव चौधवीं सदी के महापुरुष थेजिन्होंने अपना जीवन जन कल्याण में समर्पित कर दिया। बाबा रामदेव को हिन्दु भगवान कृष्ण का रूप माना है, और मुसलमान उन्हें रामशाह पीर के रूप में पूजते है। वे अध्भुत शक्तियों से परिपूर्ण थे और उनकी मान्यता दुनिया भर में है। वे सभी इन्सानों को समान मानते थे । मन्दिर प्रातः ४:०० बजे से रत्रि ९:०० बजे तक खुला रहता है
रामदेवजी मंदिर भारत में राजस्थान के जैसलमेर जिले में पोकरण के उत्तर से लगभग १२ किमी दूर है। यह मन्दिर रामदेवरा गांव में स्थित है। यहाँ बाबा रामदेवजी ने १४५९ ई. में समाधि ले ली थी और तभी से इस गाँव का नाम रामदेवरा पड गया। बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह ने १९३१ ई. में समाधि के चारों ओर एक मंदिर का निर्माण किया।
यह मन्दिर सालासर से ८६ किलोमीटर की दूरी पर है । यह राजस्थान के लोक देवता हैं। बाबा रामदेव चौधवीं सदी के महापुरुष थेजिन्होंने अपना जीवन जन कल्याण में समर्पित कर दिया। बाबा रामदेव को हिन्दु भगवान कृष्ण का रूप माना है, और मुसलमान उन्हें रामशाह पीर के रूप में पूजते है। वे अध्भुत शक्तियों से परिपूर्ण थे और उनकी मान्यता दुनिया भर में है। वे सभी इन्सानों को समान मानते थे । मन्दिर प्रातः ४:०० बजे से रत्रि ९:०० बजे तक खुला रहता है