खाटू श्याम जी
खाटू श्यामजी भगवान कृष्ण के अवतार में से एक माना जाता है और इन्हे �कलयुग के भगवान� के नाम से भी जाना जता है। किसी ने सच्ची भक्ति के साथ श्यामजी की पूजा की है उनकी सभी इच्छाओं की पूर्ति हुइ है। भगवान श्याम के सभी भक्तों की यह आस्था है कि सच्चे मन्न से अगर कोइ इनकी पूजा करता है तो उनका जीवन कष्टों से रहित हो जाता है। हिन्दुओं में लाखों परिवार के मुख्य भगवान श्री खाटू श्यामजी हैं।
खाटू श्याम मंदिर राजस्थान के सीकर जिले में स्थित है। यह लगभग जयपुर से 80 किलोमीटर की दुरी पर है। यह धाम सालासर से लगभग १२१ किलोमीटर दूर है।
इनकी कहानी महाभारत के समय से प्रचलित है। पाण्डव भीम का पौत्र बार्बरिका को कृष्ण महाभारत के युद्ध मे भाग लेने से रोकना चाहते थे, इसलिए उन्होंने बार्बरिका से उसका सर दान करने की बात कही । बार्बरिका ने भगवान की इस बात का मान रखते हुए उन्हे अपना सर काट के दे दिया किन्तु युद्ध देखने की इच्छा प्रकट की। इसपर भगवान कृष्ण ने उनका सर टीले के उपर रख दिया जहाँ से वे युद्ध देख पाये और उन्हें वरदान भी दिया कि कलयुग में उनकी पूजा करने से मन्वान्छित फ़ल प्राप्त हो सकेगा। ९७५ वर्षों पर्व रूपसिंह चौहान की पत्नि के स्वप्न मे भगवान स्वयम प्रकट हुए और उन्होने अपनी मूर्ति को जमीन से निकलवाने की बात कही। जब उस तथाकथ जगह को खोद गया तो वहाँ से श्याम बाबा की मूर्ति उत्पन्न हुइ । उस जगह पर श्याम जी का मन्दिर बनवाया गया । उस जगह को श्याम कुन्ड के नाम से जाना जाता है। श्याम जी कि प्रतिमा एक दुर्लभ काले पत्थर से बनी है । इस रूप के दर्शन के लिये श्रद्धालु भारत के कोने कोने से आते हैं। हर दिन हज़रों लोगों का हुजूम दर्शन के लिये लालायित रहता है। यहाँ रहने के लिए अनेक धर्मशालाए हैं। मन्दिर ग्रीष्मकाल में प्रातः ४:३० बजे खुलता है और दोपहर को १:०० बजे बन्द होता है और शाम को ५:०० बजे खुलता है और रत्रि १०:०० बजे पट बन्द हो जाते हैं। वही शरद ह्रितु में प्रातः ६:०० बजे खुलता है और दोपहर को १२:०० बजे बन्द होता है और शाम को ४:०० बजे खुलता है और रत्रि ९:०० बजे पट बन्द हो जाते हैं।
खाटू श्याम मंदिर राजस्थान के सीकर जिले में स्थित है। यह लगभग जयपुर से 80 किलोमीटर की दुरी पर है। यह धाम सालासर से लगभग १२१ किलोमीटर दूर है।
इनकी कहानी महाभारत के समय से प्रचलित है। पाण्डव भीम का पौत्र बार्बरिका को कृष्ण महाभारत के युद्ध मे भाग लेने से रोकना चाहते थे, इसलिए उन्होंने बार्बरिका से उसका सर दान करने की बात कही । बार्बरिका ने भगवान की इस बात का मान रखते हुए उन्हे अपना सर काट के दे दिया किन्तु युद्ध देखने की इच्छा प्रकट की। इसपर भगवान कृष्ण ने उनका सर टीले के उपर रख दिया जहाँ से वे युद्ध देख पाये और उन्हें वरदान भी दिया कि कलयुग में उनकी पूजा करने से मन्वान्छित फ़ल प्राप्त हो सकेगा। ९७५ वर्षों पर्व रूपसिंह चौहान की पत्नि के स्वप्न मे भगवान स्वयम प्रकट हुए और उन्होने अपनी मूर्ति को जमीन से निकलवाने की बात कही। जब उस तथाकथ जगह को खोद गया तो वहाँ से श्याम बाबा की मूर्ति उत्पन्न हुइ । उस जगह पर श्याम जी का मन्दिर बनवाया गया । उस जगह को श्याम कुन्ड के नाम से जाना जाता है। श्याम जी कि प्रतिमा एक दुर्लभ काले पत्थर से बनी है । इस रूप के दर्शन के लिये श्रद्धालु भारत के कोने कोने से आते हैं। हर दिन हज़रों लोगों का हुजूम दर्शन के लिये लालायित रहता है। यहाँ रहने के लिए अनेक धर्मशालाए हैं। मन्दिर ग्रीष्मकाल में प्रातः ४:३० बजे खुलता है और दोपहर को १:०० बजे बन्द होता है और शाम को ५:०० बजे खुलता है और रत्रि १०:०० बजे पट बन्द हो जाते हैं। वही शरद ह्रितु में प्रातः ६:०० बजे खुलता है और दोपहर को १२:०० बजे बन्द होता है और शाम को ४:०० बजे खुलता है और रत्रि ९:०० बजे पट बन्द हो जाते हैं।